लब मेरे खामोश रहेंगे

लब मेरे खामोश रहेंगे क्योंकि मेरा प्यार हो तुम

वरना मेरा दिल जाने है झूठे और मक्कार हो तुम

फूलों सी मुस्कान में लिपटा शबनम भीगा प्यार तेरा

जैसे मतलब निकल गया तो बरछी और कटार हो तुम

बंट जाते हो सब लोगों में मुझको तनहा छोड़ के तुम

मैं झूठे कहती रहती हूं के मेरा अधिकार हो तुम

जिनसे तुम नफरत करते हो उनसे ही तुम महफ़िल में

हंस हंस के बातें करते हो कैसे रंगे सियार हो तुम

मजबूरी है रहना होगा रक्खोगे जिस हाल में तुम

मैं हूं जैसे बेबस जनता और मेरी सरकार हो तुम

सहरा में गुल खिलाओ तो कुछ बात बनेगी

सहरा में गुल खिलाओ तो कुछ बात बनेगी
गर्दिश में मुस्कुराओ तो कुछ बात बनेगी
ये क्या हुआ के जिस्म तक आ कर पलट गए
दिल तक उतर के आओ तो कुछ बात बनेगी
हर मोड़ पर हमने ही तुम्हें दी हैं सदायें
तुम भी कभी बुलाओ तो कुछ बात बनेगी
यूँ दूर से शिकवे-गिले मिटते नहीं सनम
आकर गले लगाओ तो कुछ बात बनेगी
इक मेरे चाहने से ना हल होगा मसअला
तुम भी कदम बढ़ाओ तो कुछ बात बनेगी
रूहे-ग़ज़ल को ढूंढना आसान नहीं है
लफ्ज़ो में डूब जाओ तो कुछ बात बनेगी

न मिले तो कयामत नहीं है

न मिले तो क़यामत नहीं है
ये न कहना मोहब्बत नहीं है
मुझको रखना सदा अपने दिल में
दूरियों से शिकायत नहीं है
दिल की बातें जुबां तक भी लाएं
अपने घर की रवायत नहीं है
क्यों परेशां हो मेरे लिए तुम
मेरी किस्मत में जन्नत नहीं है
रोज़ी रोटी की है फ़िक्र इतनी
मुझको रोने की फुर्सत नहीं है
चढ़ गये इतने चेहरे पे चेहरे
जो दिखे वो हकीकत नहीं है

संत महिमा

माया हटाते

माया हड़प जाते

संत के नाते.

मांगते भिक्षा

करे धर्म की रक्षा

संत दे शिक्षा.

फंसा माया में

संत कचहरी में

जिंदा नर्क में.

धर्म न करें

धर्म प्रचार करें

पुण्य क्या करें.

मुख में राम

तनमन हराम

यूं रोता राम.

पापी वैरागी

मठ ममता जागी

नाम का त्यागी.

रिश्ते ही रिश्ते

नफरत की आंधी में,

तारतार हुए रिश्ते.

नफरत की आग में,

झुलस गए रिश्ते.

टकराहट के घर्षण ने,

बरबाद किए रिश्ते.

दूरियां बढ़ गईं,

अजनबी हुए रिश्ते.

न हम झुके, न तुम झुके,

गुम हुए रिश्ते.

प्रेम की डोर मजबूत हो,

तभी निभेंगे रिश्ते.

सरसता और क्षमा से,

बने रहेंगे रिश्ते,

कुछ तुम सहो, कुछ हम सहें,

मधुर रहेंगे रिश्ते.

ताकत, सहारा और अभिमान,

हमारे रिश्ते.

शिकवा व शिकायत न हो,

ऐसे हों रिश्ते.

जिन का न कोई होता,

वे चाहते हैं रिश्ते.

कदर उस की समझते हैं,

निभाते हैं रिश्ते.

जो भुला दिया, सो भुला दिया

तुझे दिल से अपने निकाल कर

मैंने ख्वाहिशों को सुला दिया

तू लौट कर भी ना आ सके

मैंने आशियाँ ही जला दिया



चुभने लगे थे आंख में

जो ख्वाब तूने दिखाये थे

ये तो शुक्र है के सहर ने फ़िर

मुझे असलियत से मिला दिया



तेरा प्यार था के फरेब था

मुझे आज तक ना पता चला

कभी रो दिये तो हंसा दिया

कभी हंसते हंसते रुला दिया



कभी बेपनाह मोहब्बतें

कभी बेबसी की कहानियां

कभी मौत के दर ले गया

कभी ज़िन्दगी से मिला दिया



ये ना सोचना के मैं रोऊंगी

पछताऊंगी तुम्हें छोड़ कर

मुझे गम नहीं किसी बात का

जो भुला दिया, सो भुला दिया

रूप फागुनी

देह तुम्हारी

रंगों की कविता.

होंठ गुलाबी

आंखें कजरारी

रूप फागुनी

बातें पिचकारी.

सांस तुम्हारी

गंधों की कविता.

तितली सी चितवन

पर तोले है

ठलके आंचल

तनमन डोले है.

चाल तुम्हारी

अंगों की कविता.

पायल उतरी

अपनी नसनस में

तोड़ रही हर बंधन

हर कसमें.

चाह तुम्हारी

पंखों की कविता.

कुछ पल और

गुनगुनाती हुई फलक से

गिर रही हैं बूंदे

लगता है कोई बदली

तेरी पाजेब से टकराई है.

इन पैरों की रूनझुन

उतर गई दिल में

लगता है सरगम

पायल ने खुद गाई है.

हर आहट की झनक

दिल को लगे ऐसी

सोए अरमानों ने

दिल में ली अंगड़ाई है.

हर छनक खुशबू सी बन

फिजा में महकी ऐसे

लगता है वीरानें में

बहार आई है.

जमीं पर संगीत

तेरी पायल का बजा

कि अप्सरा कोई

पूजा के लिए आई है.

‘कुछ पल और’ भी

छनक जाए पायल तेरी

लगेगा ऐसे में

सुबहसुबह बांसुरी

किसी ने बजाई है.

कहर

डोल गया शहर

बोल गया कहर,

कल एक शहर था जहां

आज खंडहर है वहां.

कल थी ऊंची मंजिलें जहां

आज है तबाही की दास्तां वहां,

डोलती थी जिंदगियां जहां

अब खामोश हैं लाशें वहां.

दर्द है, कराह है

खौफ है, डर है,

बिलखता हर इनसान.

जो जिंदा है

वो भी खौफ का मारा है,

अब वो न जीता है न मरता है

बस दिन गिनते रहता है.

बसा था बरसों में

उजड़ गया पलों में,

हार गया शहर

जीत गया कहर.

गर्लफ्रैंड

अंबर को एक लड़की भायी,

जब वह दी उसे दिखाई

सोचा इस पर अपना इंप्रैशन जमाएं,

इसे अपनी गर्लफ्रैंड बनाएं.

जब उसे प्रपोज करने गया,

हिम्मत ने दिया जवाब, दिल घबराया.

उस के निकट तो आया,

पर उस से कुछ कह न पाया.

जब उस को अपनी बात नहीं बताएंगे,

तब कैसे उसे अपना बनाएंगे.

तब अंबर ने लिखा एक लैटर,

जिस में है दिल का मैटर.

लैटर में लिखा, ‘तुम मुझे अच्छी लगी,’

क्या तुम मेरी फ्रैंड बनोगी.

मेरा नाम है अंबर,

9813133333 है मोबाइल नंबर.

हमारी फ्रैंडशिप आगे बढ़ सकेगी जब

अपना मोबाइल नंबर एसएमएस करेंगी,

वह ऐसी जगह पर आई जहां था कोई नहीं,

उस ने उसे लैटर दिया, एकांत में लैटर देना है सही.

लड़की ने मोबाइल नंबर एसएमएस किया,

उस में अपना नाम भी लिख दिया.

कई रोज तक उन की हुई बात,

फिर होने को आई मुलाकात.

वे अकसर मिलने लगे,

डेटिंग पर जाने लगे.

रैस्टोरैंट गए व गए सिनेमाहौल,

आनंदमय हो गया उन के जीवन का हाल.

रोमांस व इश्क में जिए,

जिस्म के संबंध भी बनाए.

ऐसे वादे किए कि एकदूसरे का साथ देंगे,

हमेशा मित्रता में ही जिएंगे.

अब उन्हें ऐसा लगा रह न सकेंगे एकदूजे के बिन,

मैरिज की अब एक हो गया उन का जीवन.

प्यार का व्यापार

जिंदगी के इस गणित में

दो और दो ना चार हैं,

अब तक समझ पाया न मैं

ये प्यार है, व्यापार है.

अश्क आंखों में नजर आते ही

ना समझो है गम.

दिल्लगी से भी बिगड़ जाए,

रहे ना अब वो हम.

ठूंठ हो कर रह चुका

गम आए इतनी बार हैं.

अब तक समझ पाया न मैं,

ये प्यार है, व्यापार है.

रूप सब के थे

मिलन के रंग से निखरे हुए.

अंजुमन में हर तरफ थे

फूल ही बिखरे हुए.

फिर भी पांवों के तले

अब क्यों जफा के खार हैं?

अब तक समझ पाया न मैं

ये प्यार है, व्यापार है.

इश्क की परछाइयों को

अब न पकड़ेंगे कभी.

हाथ आया था सिफर

और लुट गया मेरा सभी.

नुकसान का सौदा किया,

अपनी तो सब से हार है.

अब तक समझ पाया न मैं

ये प्यार है, व्यापार है.

प्रतीक्षा में

मैं देखती रही बाट उस पल की,

कि तुम आओगे और दो पल ही सही

मेरे साथ बिताओगे.

कुछ मेरी सुनोगे कुछ अपनी सुनाओगे,

मेरे बिना कहे ही भांप लोगे,

मेरी आंखों के गिर्द स्याह घेरों को, और

मेरे बालों पर उभर आई श्वेत रेखाओं को.

मैं देखती रही बाट उस पल की

कि तुम आओगे पवन रथ पर सवार,

सुगंध का एक झोंका बन

हाथों में मोतिया की वेणियां लिए,

सजाने मेरे बालों में.

मैं देखती रही बाट

कि तुम आओगे बूंदों से भरे मेघ बन

और भिगो जाओगे मुझे अंतर्मन तक,

मैं सराबोर हो उमंगों से

खिल उठूंगी धरती पर पीली सरसों बन.

मैं देखती ही रही बाट मगर,

न तुम आए, न पवनरथ आया.

आया तो बस, एक संदेश

‘अब तुम मेरी बाट न देखना

मुझ से कोई प्रश्न न करना,

पीछे छूट गए जो रिश्ते

उन को फिर आवाज न देना.’

चांद से शिकवा

कल की सियाह रात का चर्चा किये बगैर

जायेंगे नहीं चांद से शिकवा किये बगैर

अब देखिये लेते हैं वो किस किस से दुश्मनी

महफ़िल में आ गये जो हम पर्दा किये बगैर

दीवानों सी सूरत लिए फिरते हैं शहर में

मानेंगे नहीं वो हमें रुसवा किये बगैर

क्या क्या न गज़ब हो गया काफ़िर की याद में

मस्जिद से लौट आये हम सजदा किया बगैर

मालूम है के शेख जी तौबा के साथ साथ

रहते नहीं हैं हुस्न का चर्चा किये बगैर

ये शायरी नहीं है मदारी का खेल है

मिलता नहीं है पेट को मजमा किये बगैर

hello

hello evary one