देह तुम्हारी
रंगों की कविता.
होंठ गुलाबी
आंखें कजरारी
रूप फागुनी
बातें पिचकारी.
सांस तुम्हारी
गंधों की कविता.
तितली सी चितवन
पर तोले है
ठलके आंचल
तनमन डोले है.
चाल तुम्हारी
अंगों की कविता.
पायल उतरी
अपनी नसनस में
तोड़ रही हर बंधन
हर कसमें.
चाह तुम्हारी
पंखों की कविता.
रंगों की कविता.
होंठ गुलाबी
आंखें कजरारी
रूप फागुनी
बातें पिचकारी.
सांस तुम्हारी
गंधों की कविता.
तितली सी चितवन
पर तोले है
ठलके आंचल
तनमन डोले है.
चाल तुम्हारी
अंगों की कविता.
पायल उतरी
अपनी नसनस में
तोड़ रही हर बंधन
हर कसमें.
चाह तुम्हारी
पंखों की कविता.
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